शादीशुदा युवाओं की ज़िंदगी से क्या ग़ायब हो रहा है सेक्स?

 

शादीशुदा युवाओं की ज़िंदगी से क्या ग़ायब हो रहा है सेक्स?



"अगर समय पर सही काउंसलिंग नहीं मिलती तो शायद हमारी शादी टूट गई होती.”

गुरुग्राम में रहने वाले इंजीनियर मनीष (बदला हुआ नाम) की शादी 2013 में हुई थी लेकिन सात साल के अंदर ही यानी साल 2020 तक पत्नी के साथ उनके रिश्ते बहुत ख़राब हो गए थे. 

वह बताते हैं, “सबकुछ ठीक होते हुए भी हमारे बीच शारीरिक संबंध बनना बहुत कम हो गया था. क़रीब पांच साल तक ऐसा ही चला और फिर इसका असर रिश्ते पर दिखने लगा. आख़िर में हमें मैरिज़ काउंसलर की मदद लेनी पड़ी.” 

मनीष और उनकी पत्नी, दोनों नौकरी करते हैं. उनके साथ जो हुआ, वह कोई असामान्य बात नहीं है.

दुनिया भर में यह देखा जा रहा है कि कम उम्र के जोड़ों, ख़ासकर शादीशुदा मिलेनियल्स या युवाओं में सेक्स के प्रति अरुचि बढ़ रही है.




1980 के दशक की शुरुआत से 1990 के दशक के अंत के बीच जन्मे लोगों को मिलेनियल्स या जेनरेशन Y कहा जाता है. इनकी उम्र अभी 25 से 40 साल के बीच है. 

यह वह उम्र होती है, जिसमें माना जाता है कि मानव शारीरिक संबंधों को लेकर सबसे ज़्यादा सक्रिय रहता है. इसे सेक्शुअल प्राइम समय भी कहा जाता है. मगर इसी दौरान उनमें सेक्स की चाहत घटने का ट्रेंड देखा जा रहा है.


सेक्स में घटती दिलचस्पी

इंडियाना यूनिवर्सिटी के किन्ज़ी इंस्टीट्यूट और सेक्स टॉय बेचने वाली कंपनी ‘लव हनी’ ने साल 2021 में 18 से 45 साल की उम्र के अमेरिकी युवाओं के बीच एक सर्वे किया था.

इस सर्वे के मुताबिक़ पिछले साल विवाहित जोड़ों में सेक्स की चाहत घटने की समस्या सबसे ज़्यादा मिलेनियल्स में देखी गई.

इसके मुताबिक़, शादीशुदा मिलेनियल्स में 25.8% को सेक्स में दिलचस्पी कम हो गई थी जबकि उनके बाद की पीढ़ी (जेनरेशन Z) में 10.5% और पहले की पीढ़ी (जेनरेशन X) में 21.2% को ही यह शिकायत थी. 



1965 से 1980 के बीच जन्मे लोगों को जेनरेशन X और 1990 के दशक के आख़िर से 2010 के दशक की शुरुआत के बीच जन्मे लोगों को जेनरेशन Z माना जाता है. 

मनोवैज्ञानिक शिवानी मिस्री साधु दिल्ली में कपल थेरेपिस्ट यानी दंपतियों की काउंसलिंग का काम करती हैं.

वह भी मिलेनियल्स में सेक्स के प्रति अरुचि के मामलों में इज़ाफ़ा देख रही हैं. 

वह बताती हैं, “कम उम्र के विवाहित जोड़े, ख़ासकर मिलेनियल्स बताते हैं कि उनमें सेक्स की चाहत घटी है और वे शारीरिक संबंध भी कम बना रहे हैं.” 

शादीशुदा लोगों में शारीरिक संबंध बनना बहुत कम या बंद हो जाने को सेक्सलेस मैरिज कहा जाता है यानी ऐसी शादियां जिनमें यौन संबंध न के बराबर बनाए जा रहे हो.

विशेषज्ञों के अनुसार अगर दंपती साल में 10 से कम बार सेक्स करते हैं तो ऐसी शादियों को सेक्सलेस मैरिज माना जाता है.



किन्ज़ी इंस्टीट्यूट में शोधार्थी जस्टिन लेहमिलर कहते हैं, “जब पति-पत्नी में से एक या दोनों में सेक्स की चाहत कम हो जाती है तो उनमें शारीरिक संबंध कम बनने लगते हैं. सेक्स की चाह में आने वाली यह कमी शादी को सेक्सलेस बना सकती है.”

क्यों बढ़ रही है ‘दूरी’

समाप्त

अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में सेक्स थेरेपिस्ट क्रिस्टीन लोज़ानो कहती हैं, “इच्छाओं में असंतुलन होना एक ऐसा विषय है जिस पर ध्यान न दिया जाए तो समय के साथ यह बढ़ता चला जाता है. अगर कोई बार-बार पहल करे और उसका साथी ठुकराता रहे तो उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचेगी. वहीं ठुकराने वाले साथी को भी पछतावा होगा. इससे ऐसे हालात बन जाते है कि कामोत्तेजना प्रभावित होने लगती है.”

वे कहती हैं, "कुछ अन्य मेडिकल या मानसिक कारण भी हैं जिनसे सेक्स करना असंभव, दर्दनाक, मुश्किल या अरुचिकर हो जाता है. व्यस्तता, काम के बोझ और बच्चों के कारण भी सेक्स में कमी आ सकती है. पति पत्नी का एक-दूसरे की चाहतों के बारे में बात न करना भी एक कारण है."

ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं का सामना किसी एक पीढ़ी को ही करना पड़ता है. मगर विशेषज्ञ इस मामले में बड़ा बदलाव देख रहे हैं.

सैन फ्रैंसिस्को में 20 साल से सेक्स थेरेपिस्ट सेलेस्ट हर्शमैन कहती हैं, “पहले, शादी के 10-15 साल बाद शारीरिक संबंध बनने में कमी आती थी लेकिन अब ऐसा तीन से पांच साल में ही हो जा रहा है.”

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए पिछले 30 साल से सेक्स थेरेपिस्ट और कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में मनोरोग चिकित्सा की सहायक प्रोफ़ेसर किंबरली एंडरसन कहती हैं, “30 साल पहले मेरे पास 50 से ज़्यादा उम्र के लोग ऐसी समस्या लेकर आते थे. ये वे लोग होते थे जिनकी यौनेच्छा उम्र के साथ होने वाली बीमारियों या हार्मोन में बदलाव के कारण कम हो जाती थी. लेकिन आजकल 45 साल से कम उम्र के जोड़ों की शादी भी सेक्सलेस हो रही है.”

कई तरह का दबाव

अमेरिका के किन्ज़ी इंस्टीट्यूट के शोधार्थी जस्टिन लेहमिलर कहते हैं, “बहुत ज़्यादा स्ट्रेस यानी तनाव का भी यौन इच्छा पर गहरा असर पड़ता है और मिलेनियल्स को अपनी पिछली पीढ़ी की तुलना में ज़्यादा तनाव का सामना करना पड़ रहा है.” 

इस तनाव के भी कई कारण हैं. जैसे कि ब्रिटेन के काउंसलिंग नेटवर्क ‘रिलेट’ के 2018 में किए गए शोध के मुताबिक, "30 से 40 के बीच की उम्र के 61 फ़ीसद लोगों ने बताया कि अपने छोटे बच्चों की देखभाल की वजह से वो कम सेक्स कर पा रहे हैं. 31 प्रतिशत ने यहां तक माना कि बच्चे पैदा होने के बाद उनकी यौन इच्छाएं ही ख़त्म हो गई हैं."

इसके अलावा, मिलेनियल्स पर करियर में कामयाब और आर्थिक रूप से मज़बूत होने का भी दबाव रहता है. काम के बोझ के कारण भी उन्हें तनाव का सामना करना पड़ रहा है.

ग्लोबल कंसल्टिंग कंपनी ‘डेलॉइट’ द्वारा पांच देशों में किए गए अध्ययन के अनुसार, "38 प्रतिशत मिलेनियल बताते हैं कि उनपर काम का बहुत ज़्यादा दबाव रहता है. इस तनाव को झेलने में पुरुषों (36%) की तुलना में महिलाओं (41%) की संख्या ज़्यादा है."

जस्टिन लेहमिलर के अनुसार, "ज़्यादातर मिलेनियल ने अपने करियर की शुरुआत मंदी के दौर (2008) में की थी और अब उन्हें कोविड महामारी की मार भी झेलनी पड़ी."

वहीं अब जब तकनीक भी तेज़ी से बदल रही है तो उन्हें पहले से ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. वे वर्कोहॉलिक हो चुके हैं.

ज़्यादा काम करने के कारण हालात ऐसे पैदा हो जा रहे हैं कि वे दिन के आखिर में सेक्स करने के लिए बहुत थक चुके होते हैं.

सोशल मीडिया और पोर्न

युवाओं की सेक्स लाइफ़ पर सोशल मीडिया और पोर्न का असर भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. 

विशेषज्ञ कहते हैं कि सोशल मीडिया पर कई सारे ब्यूटी फ़िल्टर होते हैं. ऐसे में असल ज़िंदगी में कुछ लोग अपने शरीर को लेकर हीनभावना में आ जाते हैं. 

काउंसलिंग नेटवर्क ‘रिलेट’ के सर्वे के अनुसार, "30 साल से कम उम्र के जो युवा कम सेक्स कर रहे थे, उनमें 37 फ़ीसद अपने शरीर को लेकर हीनभावना के शिकार थे."

वहीं, न्यूयॉर्क के सेक्स थेरेपिस्ट स्टीफ़न स्नाइडर कहते हैं, “ज़्यादातर मिलेनियल जब बड़े हो रहे थे तब इंटरनेट पर पोर्न की उपलब्धता बढ़ रही थी. अब यह देखने को मिल रहा है कि कुछ लोग वास्तव में सेक्स करने के बजाय पॉर्न देखने में ज़्यादा आनंद अनुभव करते हैं.”

क्या है समाधान?

तनाव देने वाले कारणों को पूरी तरह जीवन से हटाया नहीं जा सकता और न ही पोर्न या सोशल मीडिया के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है. तो इन कारणों से मैरिज को सेक्सलेस होने से कैसे बचाएं? 

मनोवैज्ञानिक शिवानी मिस्री साधु कहती हैं, “ज़रूरी है कि शारीरिक संबंधों में पति-पत्नी दोनों की इच्छाएं शामिल हों और दोनों को संतोष मिले. आपको आपसी संवाद, विश्वास और एक-दूसरे की चाहतों व सीमाओं का ख़्याल रखना होता है. संबंध कितनी बार बनते हैं से ज़्यादा अहम यह है कि आपके बीच संबंध कैसे बन रहे हैं, उनमें आनंद, अंतरंगता और खुशी है या नहीं.”

विशेषज्ञ कहते हैं कि अच्छी सेक्स लाइफ़ उसे कहा जा सकता है जिसमें संवाद, आनंद, संतोष और रिश्ते को लेकर संपूर्णता का भाव होता है.

वैसे सच्चाई ये है कि शारीरिक संबंधों में दिलचस्पी का कम होना, ऐसा विषय है जिस पर लोग अपने पार्टनर तक से बात करने से कतराते हैं. मगर विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसा हो तो मैरिज काउंसलर या सेक्स थेरेपिस्ट की मदद ज़रूर लेनी चाहिए.












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